जेनेवा, 30 जुलाई 2014
वर्ल्ड वाइड फंड (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) ने एक रिपोर्ट में बताया है कि 100 साल पहले जंगल में 1,00,000 बाघ हुआ करते थे, लेकिन आज सिर्फ 3,200 बाघ बचे हैं.
डब्ल्यूडब्ल्यूएफ ने बाघ वाले 13 देशों- भारत, बांग्लादेश, भूटान, चीन, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, नेपाल, रूस, थाईलैंड और वियतनाम- द्वारा बाघ संरक्षण की दिशा में किए जा रहे प्रयासों में मदद करने की पेशकश भी की है.
डब्ल्यूडब्ल्यूएफ ने मंगलवार को बाघ दिवस के मौके पर जारी अपनी रिपोर्ट में चेताया है कि शिकार और पर्यावास की समस्या के कारण एशियाई बाघ वनों से विलुप्त हो सकते हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘जंगली बाघों को शिकार का सबसे अधिकर खतरा है क्योंकि इनके अंग पारंपरिक दवाओं, लोक उपचार में प्रयोग होते हैं और कुछ एशियाई संस्कृतियों में इसे प्रतिष्ठा का प्रतीक माना जाता है.’
डब्ल्यूडब्ल्यूएफ ने वन्यजीव तस्करी निगरानी नेटवर्क के आंकड़ों के हवाले से बताया है कि जनवरी 2000 से लेकर अप्रैल 2014 के बीच पूरे एशिया में अधिकारियों ने कम से कम 1,590 बाघों के अंग जब्त किए, जिन्हें पारंपरिक औषधियों में लिए मारा गया था.
डब्ल्यूडब्ल्यूएफ ने रिपोर्ट में स्वीकार किया है कि भारत, नेपाल और रूस के जंगलों में मौजूद बाघों के आंकड़े तो उसके पास हैं, लेकिन म्यांमार, कंबोडिया, चीन, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया और थाईलैंड के आंकड़ा उपलब्ध नहीं हैं.
डब्ल्यूडब्ल्यूएफ ने इन देशों में जंगलों में मौजूद बाघों की गिनती करने और बाघों को बचाने का आग्रह किया है.
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