Thursday, April 5, 2012

गुजरात से भी आगे होता अपना विन्ध्यप्रदेश

  मिलती 24 घन्टे बिजली, हर खेत को पानी और हर हाथ को काम


 उद्योगों की संभावनाएं, प्राकृतिक संसाधान और विश्वस्तरीय पर्यटन के मुकाम को आधार बनाकर आंकलन करें, तो आज विन्ध्य प्रदेश में 24 घन्टे बिजली मिलती और ऊपर से बेंचते भी। हर खेत तक नहरों से पानी पहुंचता और इतने उद्योग धंधे खुल जाते कि बेरोजगार युवाओं के हाथों में काम होता और उन्हें कप प्लेट धोने या रिक्शा खींचने बाहर नहीं जाना पड़ता। विन्ध्य प्रदेश देश के बड़े एजुकेशन के हब के रूप में उभरता, इन्जीनियरिंग तथा चिकित्सा के राष्ट्रीय संस्थान यहां होते।
ऊर्जा और सीमेन्ट 
विन्ध्य क्षेत्र में कोई 12 थर्मल प्लांट और इतने ही सीमेन्ट कारखाने आने वाले पांच सालों में उग आएंगे। विन्ध्य प्रदेश जिन्दा होता तो ये कारखाने अस्सी के दशक तक बन चुके होते, और देश के कुल उत्पादन में ऊर्जा के क्षेत्र में 20 फीसदी व सीमेन्ट के उत्पादन में 15 फीसदी का योगदान देते। यहां इतनी बिजली पैदा होती कि 24 घंटे के उपयोग के बाद हर साल अरबों की बेंचा करते। आयरन और बाक्साइड व डोलोमआइट, ग्रेनाइट जैसे खनिजों के आधार पर इस्पात व एल्म्यूनियम के संयत्र भी लगते।
प्रकृति और पर्यटन
विश्व के दस श्रेष्ठ पर्यटन स्थलों में शामिल खजुराहों का आकर्षण और भी बढ़ता साथ ही बांधवगढ़, पन्ना व संजय गांधी टाइगर रिजर्व ऐसे प्रमुख पर्यटन स्थल बनते कि विश्व के कई देश यहां से सीधे जुड़ जाते विदेशी मुद्रा की बारिश होती। अमरकंटक, मैहर, ओरछा, चित्रकूट और पीतांबरा पीठ तीर्थों के रूप में आपकी शान बढ़ाते। विन्ध्य प्रदेश में वन आबादी का ऐसा औसत होता जिसे विश्व में आदर्श के रूप में पेश किया जाता।
अभी कहां जाता है हिस्सा 
खनिज, प्राकृतिक संसाधनों के माध्यम से अभी भी हम प्रदेश को 35 से चालीस फीसदी राजस्व दे रहे हैं। ऊर्जा उत्पादन में विन्ध्य का एकाधिकार है। रेल भाड़ा में अकेले सतना सालाना आठ अरब देता है, तो इस राजस्व से किसकी बरक्कत होती है? आसान सा जवाब है, भोपाल की चिकनी सड़कों और इन्दौर की अट्टालिकाओं में हमारे संसाधनों की कमाई जज्ब होती है, वहीं राष्ट्रीय-अन्तरराष्ट्रीय संस्थान खुलते हैं। और हवाई अड्डे बनाए जाते हैं। हमारी कमाई का आधा हिस्सा भी हमें मिल जाए तो विन्ध्य क्षेत्र चमन हो जाए।
 > 23603 वर्ग मील (35 रियासतों को मिलाकर)
> 8 जिले- रीवा, सीधी, सतना, शहडोल, पन्ना, छतरपुर,   टीकमगढ़, दतिया
> 2 संभाग - रीवा और नौगांव
> 60 विधानसभा सीटें
> 6 लोकसभा सीटें (2 एकल- 2 दोहरी सदस्यता)
1948 से 1952 तक
बघेल खण्ड के मुख्यमंत्री - कप्तान अवधेश प्रताप सिंह
बुंदेल खण्ड के मुख्यमंत्री - कामता प्रसाद सक्सेना
राज प्रमुख - महाराजा मार्तण्ड सिंह रीवा
ुउप राजप्रमुख -महाराजा यादवेन्द्र सिंह पन्ना
1952 से 1956 तक
प्रथम और अंतिम निर्वाचित मुख्यमंत्री - पं. शंभूनाथ शुक्ल
यह किस्सा नई पीढ़ी को बताना जरूरी है ताकि वह जाने कि उनके भविष्य के साथ राजनीति ने कैसा अपघात किया। भारत के स्वतंत्र होने के बाद 35 रियासतों को जोड़कर 4 अप्रैल 1948 को विन्ध्य प्रदेश का जन्म हुआ। एक प्रदेश को जितने संसाधन चाहिए वे सब थे। साक्षरता, प्रति व्यक्ति आय और प्राकृतिक संसाधनों में विन्ध्य प्रदेश औसत से ऊपर था। विधिवत विधानसभा की राजधानी और ज्यूडिशियल कमिश्नरी (अब का हाईकोर्ट) भी। राज्य मंत्रालय और गवर्नर हाउस सब कुछ एक प्रदेश की तरह ही था पर एक राजनीतिक साजिश के चलते एक नए प्रदेश (मध्य प्रदेश) के लिए एक आठ वर्षीय अबोध प्रदेश के जज्बातों का गला दबा दिया गया, वह तारीख थी 1 नवम्बर 1956। क्या आपको ऐसा नहीं लगता कि विन्ध्य प्रदेश होता, तो गुजरात, पंजाब, हरियाणा और महाराष्ट्र विकास के मामले में हमारे पिछलग्गू होते। यह किस्सा नई पीढ़ी को बताना जरूरी है ताकि वह जाने कि उनके भविष्य के साथ राजनीति ने कैसा अपघात किया। भारत के स्वतंत्र होने के बाद 35 रियासतों को जोड़कर 4 अप्रैल 1948 को विन्ध्य प्रदेश का जन्म हुआ। एक प्रदेश को जितने संसाधन चाहिए वे सब थे। साक्षरता, प्रति व्यक्ति आय और प्राकृतिक संसाधनों में विन्ध्य प्रदेश औसत से ऊपर था। विधिवत विधानसभा की राजधानी और ज्यूडिशियल कमिश्नरी (अब का हाईकोर्ट) भी। राज्य मंत्रालय और गवर्नर हाउस सब कुछ एक प्रदेश की तरह ही था पर एक राजनीतिक साजिश के चलते एक नए प्रदेश (मध्य प्रदेश) के लिए एक आठ वर्षीय अबोध प्रदेश के जज्बातों का गला दबा दिया गया, वह तारीख थी 1 नवम्बर 1956। क्या आपको ऐसा नहीं लगता कि विन्ध्य प्रदेश होता, तो गुजरात, पंजाब, हरियाणा और महाराष्ट्र विकास के मामले में हमारे पिछलग्गू होते।

No comments:

Post a Comment