आम धारणा के विपरीत, सफ़ेद बाघ विवर्ण नहीं होते हैं क्योंकि वास्तविक विवर्ण बाघों में धारियां नहीं होती हैं. यहां तक कि आज जिसे "धारीविहीन" सफ़ेद बाघ के रूप में जाना जाता है, उनकी धारियों का रंग वास्तव में बहुत हल्का होता है.
कथित तौर पर चिनचिला पित्रैक (सफ़ेद के लिए) की पहचान गलती से विवर्ण श्रृंखला (1980 के दशक से पहले के प्रकाशन इसे एक विवर्ण पित्रैक के रूप में संदर्भित करते हैं) के एक युग्मविकल्पी के रूप में किए जाने की वजह से कुछ भ्रम हो जाता है. उत्परिवर्तन सामान्य रंग से प्रतिसारी या अप्रभावी होता है, जिसका अर्थ यह है कि उत्परिवर्ती पित्रैक का वहन करने वाले दो नारंगी बाघ सफ़ेद बाघों को जन्म दे सकते हैं, और दो सफ़ेद बाघों के मिलन से सिर्फ सफ़ेद शावक ही पैदा होंगे. अन्य पित्रैकों के प्रभाव और अंत:क्रिया की वजह से धारियों के रंग में अंतर होता है.
जबकि अवरोधक ("चिनचिला") पित्रैक बाल के रंग को प्रभावित करता है, एक अलग तरह का "वाइड बैंड" पित्रैक भी होता है जो एगूटी के बालों के गहरे रंग समूहों के बीच की दूरी को प्रभावित करता है.[20] इस वाइड बैंड पित्रैक की दो प्रतियों को विरासत में पाने वाला एक नारंगी बाघ सुनहरा धारीदारहो जाता है; इन दो प्रतियों को विरासत में पाने वाला सफ़ेद बाघ लगभग या पूरी तरह से धारीविहीन हो जाता है. संयोग के कारण प्रतिसारी पित्रैकों का प्रभाव सामने आता है, फिर भी सफ़ेद बाघों में पृष्ठभूमि और धारियों के रंग में भिन्नता होती है.
1907 के बिलकुल शुरूआत में प्रकृतिविद रिचर्ड लेडेकर ने विवर्ण बाघों के अस्तित्व पर संदेह व्यक्त किया था.[21] हालांकि हमारे पास सही मायने में विवर्णता की एक रिपोर्ट है: 1922 में, जर्नल ऑफ दबॉम्बे नेचरल हिस्ट्री सोसाइटी में "मिसलेनियस नोट" में विक्टर एन. नारायण के अनुसार कूचबिहार जिला के तिस्री स्थित मिका कैम्प में दो गुलाबी आंखों वाले विवर्ण शावकों की उनकी मां के साथ गोली मार दी गयी थी. इन विवर्ण बाघों के बारे में बताया गया था कि वे उप-व्यस्क बाघ देखने में बीमार लग रहे थे, उनकी गर्दन लम्बी और आंखें गुलाबी थी.
सफ़ेद बाघ, स्याम देश की बिल्लियों, और हिमायल के खरगोशों के रोएं में कुछ खास तरह के एंजाइम होते हैं जो तापमान के साथ प्रतिक्रिया कर ठंड में उन्हें गहरा रंग प्रदान करते हैं. ब्रिस्टल चिड़ियाघर में मोहिनी नाम की एक सफ़ेद बाघिन अपने क्रीम रंगत वाले रिश्तेदारों की तुलना में कहीं अधिक सफ़ेद थी. हो सकता है ऐसा इसलिए हुआ हो क्योंकि वह जाड़े में बहुत कम समय बाहर बिताती थी.[22] सफ़ेद बाघ टायरोसिनेस का एक उत्परिवर्तित रूप पैदा करते हैं, यह एक ऐसा एंजाइम है जो मेलानिन के उत्पादन में इस्तेमाल होता है, जो निश्चित तापमान (98 डिग्री फॉरेनहाइट से नीचे) पर ही कार्य करता है. यही वजह है कि स्याम देश की बिल्लियों और हिमालय क्षेत्र के खरगोशों के चेहरे, कान, पैर और पूंछ (रंग वाले हिस्से) के रंग गहरे होते हैं, जहां ठंड आसानी से प्रवेश कर जाती है. इसे एक्रोमेलानिज्म कहते हैं, और हिमालय क्षेत्र की और स्नोशू बिल्ली जैसी स्यामी बिल्लियों से व्युत्पन्न अन्य बिल्लियों की नस्ल भी इसी स्थिति को दर्शाती हैं.[23] 1960 के दशक में नई दिल्ली चिड़ियाघर के निदेशक के. एस. सांखला ने देखा कि रीवा के सफ़ेद बाघ हमेशा, यहां तक कि नई दिल्ली में पैदा होकर वापस वहां भेजे जाने पर भी, सफ़ेद ही होते थे. "धूल भरे आंगन में रहने के बावज़ूद वे हमेशा बर्फ जैसे सफ़ेद रहते थे."[9] सफ़ेद बाघों की रंगत में आई कमी का सम्बन्ध प्रत्यक्ष रूप से एक कमज़ोर प्रतिरक्षा तंत्र से होता है.
आनुवंशिक मुद्दे[संपादित करें]
भारत के बाहर, सफ़ेद बाघों की आंखें तिरछी हुआ करती हैं, जिसे तिर्यकदृष्टि कहते हैं, यह "क्लारेन्स द क्रॉस्ड-आईड लॉयन" की एक मिसाल है,[24]ऐसा इसीलिए होता है क्योंकि सफ़ेद बाघों के दिमाग में दृश्य पथों की त्रुटिपूर्ण जमघट लगी रहती है. बाघ प्रशिक्षक एंडी गोल्डफार्ब के अनुसार अत्यधिक थकान या उलझन में होने से सभी सफ़ेद बाघ अपनी आंखें तिरछी कर लेते हैं. उनकी यह तिर्यकदृष्टि मिश्रित बंगाल/साइबेरियाई पूर्वजों से सम्बद्ध है. मोहिनी की बेटी रेवती ही एकमात्र शुद्ध बंगाल व्हाइट टाइगर थी जिसकी आंखें कथित तौर पर टेढ़ी थी. तिर्यकदृष्टि का प्रत्यक्ष सम्बन्ध सफ़ेद पित्रैक से है और यह अन्तः संयोग का कोई अलग परिणाम नहीं है.[25][26][27] सफ़ेद बाघों के नारंगी शावकों में तिर्यकदृष्टि के लक्षण नहीं होते हैं. अध्ययन किए गए स्यामी बिल्लियों और विवर्णों की प्रत्येक प्रजातियों में से सभी में सफ़ेद बाघों की तरह ही दृश्यगत पथ की असामान्यता का प्रदर्शन करते हैं. कुछ विवर्ण फेरट (नेवले की जाति का एक जानवर) की तरह ही स्यामी बिल्लियों की आंखें भी टेढ़ी होती है. सफ़ेद बाघों में दृश्य पथ असामान्यता की प्रमाण सबसे पहले मोनी नामक सफ़ेद बाघ की मृत्यु के बाद उसके मस्तिष्क में मिला था, हालांकि उसकी आंखें सामान्य संरेखण की थीं. असामान्यता का तात्पर्य दृष्टिगत व्यत्यासिका में किसी व्यवधान से है. मोनी के मस्तिष्क की जांच से पता चला कि स्यामी बिल्लियों की अपेक्षा सफ़ेद बाघों में व्यवधान कम गंभीर होता है. दृश्य मार्ग असामान्यता के कारण, जिससे कुछ दृष्टिगत तंत्रिकाएं मस्तिष्क की गलत दिशा में चली जाती हैं, सफ़ेद बाघों में स्थानिक उन्मुखीकरण की समस्या होती है, और उनकी दृष्टि तब तक धक्के खाती रहती है जब तक वे इसकी क्षतिपूर्ति करना सीख नहीं लेते. कुछ बाघ अपनी आंखें तिरछी करके क्षतिपूर्ति करते हैं. जब तंत्रिका-कोशिकाएं रेटिना से होकर मस्तिष्क में जाती हैं और दृष्टिगत व्यत्यासिका तक पहुंचती हैं, कुछ इसे पार कर जाती हैं और कुछ नहीं करतीं, जिससे दृश्य छवियां मस्तिष्क के गलत गोलार्द्ध में प्रक्षेपित हो जाती हैं. सफ़ेद बाघ आम बाघों की तरह अच्छी तरह नहीं देख पाते हैं और विवर्ण बाघों की तरह ये भी प्रकाशभीति (फोटोफोबिया) से पीड़ित होते हैं.[28]
लास वेगास के जादूगर डिर्क आर्थर ने हवाई के पाना'एवा रेनफ़ॉरेस्ट ज़ू को टेढ़ी आंखो वाले नमस्ते नाम का एक नर सफ़ेद बाघ दानस्वरूप प्रदान किया था जिसका वजन 450 पाउंड है.[29] सिग्फ्राइड एण्ड रॉय (Siegfried & Roy) की पुस्तक "मास्टरिंग द इमपॉसिबल" में एक सफ़ेद बाघ की तस्वीर है जो सिर्फ एक तरफ से भेंगा दिखाई देता है. टोनी की बहन स्कारलेट ओ'हारा नामक सफ़ेद बाघिन सिर्फ दायीं ओर से भेंगी थी. ज़ून 1977 में किंगडम 3, हेनरी काउंटी, जॉर्जिया पशु पार्क में पैदा तीन सफ़ेद बाघों में स्कारलेट ही अकेली जीवित बची थी. स्कारलेट की आंख को ठीक करने के लिए दो मांसपेशियों को कसने और ढ़ीला करने के लिए स्कारलेट का एक ऑपरेशन किया गया था, जो मानव जाति के लिए काफी हद तक एक सामान्य ऑपरेशन है. उसे अटलांटा के ग्रेडी मेमोरियल अस्पताल के पशु अनुसंधान क्लिनिक में भेजा गया. उसका मालिक बैरन ज़ूलियस वॉन उहल उस पार्क में सिंह प्रशिक्षक था, और उसके नेत्र शल्य चिकित्सक ने ऑपरेशन किया.[30] स्कारलेट पर संज्ञाहीनता (एनेस्थीसिया) का उल्टा असर हुआ और उसकी मृत्यु हो गयी. अटलांटा ज़ू के पशुचिकित्सक मोर्टन सिल्बरमैन ने कहा, "अन्य आनुवंशिक दोष होने की हमेशा संभावना होती है" और इनमें से कुछ ने उसकी एनेस्थीसिया को सहन करने की क्षमता को प्रभावित कर दिया होगा.[31] बाघ प्रशिक्षक एलन गोल्ड ने कहा कि सफ़ेद बाघों में शल्य चिकित्सा के माध्यम से भेंगी आंखों को सही करने के प्रयास असफल रहे हैं, क्योंकि समस्या उनकी आंखों में नहीं, बल्कि उनके दिमाग में है. सफ़ेद बाघों की आंखें जन्म से ही भेंगी नहीं होतीं; बल्कि उनके जीवनकाल के किसी पड़ाव में इस स्थिति का विकास हो सकता है. केसरी के 1976 के वंश समूह से आइका नामक एक नर सफ़ेद बाघ अपने शैशवकाल में भेंगा नहीं था. बल्कि आगे चलकर उसमें यह तिर्यकदृष्टि की समस्या का विकास हुआ. रेवती भी अपने शैशवकाल में भेंगी नहीं थी. तिरछी आंखोंवाले सफ़ेद बाघ के बारे में सिनसिनाटी ज़ू के निदेशक एड मारूस्का ने कहा: 52 नवजात सफ़ेद बाघों में से चार बाघों को तिर्यकदृष्टि की समस्या थी, इन सभी ये सभी चारों सफ़ेद शावक केशरी और टॉनी के बच्चे थे. भीम और सुमिता (भाई-बहन) वैसे ही बने रहे, और पहले पैदा हुए शावकों में से एक नर शावक को छोड़कर बाकी सभी शावकों की आंखें सामान्य थी. चूंकि तिर्यकदृष्टि का मामला शायद ही कभी सामने आता है और शायद इसका सम्बन्ध सफ़ेद रंगत वाले पित्रैक से होता है, इसलिए इस बात की सम्भावना है कि आगे चलकर यह चयनात्मक संयोग द्वारा कम या यहां तक कि समाप्त हो जाए."[32]
दांतों की सुराख को भरने के दौरान एनेस्थीसिया (संज्ञाहीनता) की जटिलता की वजह से 1992 में सैन एंटोनियो ज़ू में सिनसिनाटी ज़ू में पैदा हुए भीम और सुमिता के बेटे, चेतन नाम के एक नर सफ़ेद बाघ की मौत हो गई. ऐसा लगता है कि सफ़ेद बाघों में एनेस्थेसिया के प्रति अजीब तरह की प्रतिक्रिया होती है. किसी बाघ को निश्चल करने की सर्वोत्कृष्ट दवा सीआई744 (CI744) है, लेकिन कुछ बाघों, विशेष रूप से सफ़ेद बाघों, को 24-36 घंटों के बाद फिर से दर्द निवारक दवा देनी पड़ती है.[33] चिड़ियाघर के पशु चिकित्सक डेविड टेलर के अनुसार ऐसा इसलिए होता है कि ये टाइरोसिनेज नामक एंजाइम्स, विवर्ण पशुओं में एक खास लक्षण है, उत्सर्जित करने में असमर्थ होते हैं. जर्मनी के स्टुकेनब्रोक फ्रिट्ज़ वुर्म के सफारी पार्क में उन्होंने सिनसिनाटी ज़ू के एक जोड़ी सफ़ेद बाघों में सैल्मोनेला बैक्टेरिया के जहर का इलाज किया था, जिन पर एनेस्थेसिया का अजीब तरह का असर हुआ था.[34]
1960 में मोहिनी में चेडियाक-हिगाशी सिंड्रोम की जांच की गई, लेकिन नतीजा अनिर्णायक ही रहा.[35][36] यह स्थिति विवर्ण उत्परिवर्तनों जैसा ही है और इसके कारण खाल का रंग कड़कती बिजली की तरह नीलापन होता है, तिरछी नजर लिये हुए होते हैं, और सर्जरी के बाद लंबे समय तक खून बहता रहता है. साथ ही चोट लगने की स्थिति में भी खून के जमने की प्रक्रिया धीमी हो जाती है. यही स्थिति पालतू बिल्ली में भी देखी गई है, लेकिन चेडियाक-हिगाशी सिंड्रोम वाले सफ़ेद बाघ के मामले में ऐसा कभी नहीं होता. मिलवॉकी काउंटी ज़ू से मिली खबर के अनुसार केंद्रीय दृष्टिपटल संबंधी विकार वाले सफ़ेद बाघ का केवल एक ही मामला सामने आया है, जो आंखों में रंजकता की कमी से संबंधित हो सकता है.[36][37] यह मामला सिनसिनाटी ज़ू से लाये गए मोटा नामक एक सफ़ेद नर बाघ भी इस सवाल के घेरे में था.
एक मिथक है कि सफ़ेद बाघों के शावकों की मृत्यु दर 80% है. हालांकि सफ़ेद बाघों के शावकों की मृत्यु दर कैद में रहनेवाले आम नारंगी बाघों से पैदा होनेवाले शावकों की मृत्यु दर की तुलना में बहुत ज्यादा नहीं है. सिनसिनाटी ज़ू के निदेशक एड मारूस्का ने कहा: "हमलोगों ने अपने सफ़ेद बाघों को अपरिपक्व आयु में मरते नहीं देखा है. हमारे संग्रह में जन्मे बयालिस जानवर आज भी जीवित है. मोहन नामक एक बहुत बड़ा सफ़ेद बाघ 20 साल पूरा करने से थोड़ा पहले ही मर गया, इतनी बड़ी उम्र किसी भी उप-प्रजाति के नर के लिए बहुत बड़ी बात है, क्योंकि कैद में रहने वाले ज्यादातर नर जानवर बहुत कम दिन जिन्दा रहते हैं. दूसरे संग्रहों में अपरिपक्व मृत्यु का कारण पिजड़े की पर्यावरणीय स्थिति हो सकती है ... 52 में से चार मृत पैदा हुए, जिसमें से एक रहस्यमय नुकसान था. इसके अतिरिक्त हमलोगों ने दो शावकों को वायरल न्यूमोनिया में खो दिया, जो कोई बहुत बड़ी बात नहीं है. गैर-अन्तःसंयोग से पैदा होनेवाले बाघों के आंकड़ों के बिना किसी सटीक रूप से यह तय करना मुश्किल है कि यह तादाद अधिक है या कम."[38] एड मारूस्का ने विकृति के मुद्दे को भी संबोधित किया: "एक सफ़ेद नर बाघ को होनेवाले नितम्ब दुर्विकसन (हिप डिस्प्लेसिया) के मामले को छोड़कर किसी भी तरह की शारीरिक विकृति या किसी तरह के शारीरिक या मस्तिष्क संबंधित विकार से हमलोगों का सामना नहीं हुआ है. अन्य संग्रहों में कुछ उत्परिवर्तित बाघों की बीमारी के मामले में यह सीधे सहजातीय संयोग या अनुपयुक्त पालन-पोषण प्रबंधन का नतीजा हो सकता है."[39]
अन्य अनुवांशिक समस्याओं में अगले पैरों की नसों में खिंचाव, क्लब पैर, गुर्दे की समस्याएं, रीढ़ की हड्डी का धनुषाकार या वक्र होना और गर्दन में ऐंठन शामिल हैं. जानेमाने "टाइगर मैन" कैलाश सांखला का कहना है, विशुद्ध-बंगाल सफ़ेद बाघ में अन्तःसंयोग अवसाद के कारण संयोग क्षमता घटती है और गर्भपात हो जाता है.[9] बड़ी बिल्लियों (बाघों) के अन्तःसंयोग से जुड़ी, "स्टार गैजिंग" नाम की एक स्थिति कथित तौर पर सफ़ेद बाघ में भी पायी गयी है.[40] उत्तरी अमेरिका में पैदा हुए कुछ सफ़ेद बाघ चपटी नाक, बाहर की ओर उभरे हुए जबड़े, गुंबदाकार सिर बड़ी-बड़ी आंखों के साथ दोनों आंखों के बीच में खरोज सहित वुलडॉग का चेहरा लिये पैदा हुए. हालांकि इनमें से कुछ लक्षण अन्तःसंयोग के बजाए अपर्याप्त आहार से जुड़े हो सकते हैं.
अन्तःसंयोग और संकर-संयोग[संपादित करें]
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जंगल में रहने वाले सफ़ेद बाघों में युग्मविकल्पी की अतिदुर्लभता के कारण,[9] कैद में रहने वाले अल्पसंख्यक सफ़ेद बाघों की मौज़ूदा संयोग क्षमता सीमित हो गई है. कैलाश सांखला के अनुसार, जंगल में आखिरी बार देखे गए सफ़ेद बाघ को 1958 में गोली मार दी गयी थी.[9][41][42] इन दिनों चिड़ियाघरों के पिंजड़ों में इतनी बड़ी संख्या में सफ़ेद बाघ कैद हैं कि अन्तःसंयोग अब जरूरी नहीं रह गया है. अभी हाल ही में, हो सकता है कि सेंट्रल हिल में एक सफ़ेद अमूर बाघ का जन्म हुआ हो, और इससे सफ़ेद अमूर बाघों की नस्ल में वृद्धि हुई हो. दायीं तरफ की तस्वीर में दिखाई देने वाला सफ़ेद बाघ फ्रांस के ज़ू पार्क डि बियूवल में है जो सेंट्रल हिल से आया था. रॉबर्ट बॉडी नाम के एक व्यक्ति को अनुभव हुआ कि उसके बाघों में सफ़ेद पित्रैक था जब उसके द्वारा इंग्लैण्ड के मारवेल ज़ू को बेचे एक बाघ में सफ़ेद धब्बों का विकास हुआ, और उसने उसी तरह उनका संयोग कराया.[43] रॉबर्ट बॉडी के बाघों से उत्पन्न सफ़ेद अमूर बाघों में से चार बाघ टाम्पा बे के लॉरी पार्क ज़ू में हैं.
सफ़ेद बाघों के असंबद्ध नारंगी बाघों के साथ संकर संयोग द्वारा सफ़ेद-पित्रैक संचय में वृद्धि करना और फिर इनके शावकों का उपयोग और सफ़ेद बाघों को पैदा करना भी संभव हो गया है. रंजीत, भरत, प्रिया और भीम सभी सफ़ेद बाघ संकर थे; कुछ मिसालें एक से अधिक बाघों की भी है. भरत को सैन फ्रांसिस्को ज़ू के जैक नामक एक असंबद्ध नारंगी बाघ से संयोग कराया गया था, और उसकी कंचन नाम की एक नारंगी बेटी थी.[44] भरत और प्रिया को भी नोक्सविल ज़ू के एक असंबद्ध नारंगी बाघ के साथ संयोग कराया गया था, और रंजीत को भी इसी बाघ की बहन के साथ संयोग कराया गया था, वह भी नोक्सविल ज़ू की बाघिन थी. भीम, सिनसिनाटी ज़ू की किमंथी नाम की एक असंबद्ध नारंगी बाघिन के साथ संयोग कर कई शावकों का पिता बना. ओमाहा ज़ू की कई बाघिनों के साथ रंजीत का यौन-सम्बन्ध था.[45]
ब्रिस्टल ज़ू के सफ़ेद बाघों के अंतिम वंशज संकर-संयोग से उत्पन्न नारंगी रंग के बाघों का झुण्ड था जिसे एक पाकिस्तानी सीनेटर ने खरीदकर पाकिस्तान भेज दिया. सिनसिनाटी ज़ू में पैदा होने वाला, प्रिटेरिया ज़ू का सफ़ेद बाघ, राजिव का भी संकर संयोग कराया गया था और वह प्रिटोरिया ज़ू में एक साथ पैदा हुए कम से कम दो नारंगी रंग के शावकों का पिता था. अन्तःसंयोग से और अधिक संख्या में सफ़ेद बाघ पैदा करने के उद्देश्य से संकर संयोग करना जरूरी नहीं है.
संकर-संयोग, सफ़ेद नस्ल के बाघों में शुद्ध रक्त लाने का एक तरीका है. नई दिल्ली चिड़ियाघर ने संकर-संयोग के लिए भारत के कुछ बेहतर चिड़ियाघरों को सफ़ेद बाघ दिया था, और सरकार को या तो सफ़ेद बाघों को या उनके नारंगी रंग के शावकों को वापस करने के लिए चिड़ियाघरों को मजबूर करने के लिए एक अनुदेश जारी करना पड़ा था.
सिग्फ्राइड एण्ड रॉय (Siegfried & Roy) ने कम से कम एक संकर संयोग कराया था.[46] 1980 के दशक के मध्य में उन्होंने सफ़ेद बाघ की एक स्वस्थ नस्ल के निर्माण में भारत सरकार के साथ काम करने की पेशकश की. बताया गया कि भारत सरकार ने पेशकश को स्वीकार कर लिया,[47] बहरहाल, नई दिल्ली चिड़ियाघर में धनुषाकार पीठ और जुड़े हुए पैर के साथ शावकों के पैदा होने के कारण उन्हें सुखमृत्यु देने की जरूरत महसूस किये जाने के बाद भारत ने सफ़ेद बाघों के संयोग पर रोक लगा दी थी.[48] सिग्फ्राइड एण्ड रॉय (Siegfried & Roy) ने नैशविल ज़ू के सहयोग से सफ़ेद बाघ पैदा किये और उपरोक्त चिड़ियाघर में पैदा हुए शावकों के साथ वे लैरी किंग कार्यक्रम में दिखाई दिए.
ऐतिहासिक रिकॉर्ड[संपादित करें]
एक शिकारी की डायरी में 1960 से पचास साल पहले रीवा में 9 सफ़ेद बाघों का जिक्र है. द जर्नल ऑफ द बॉम्बे नेचरल हिस्ट्री सोसाइटी की खबर के अनुसार 1907 और 1933 के बीच 17 सफ़ेद बाघ गोली के शिकार हुए. ई. पी. गी ने जंगल में रहने वाले 35 सफ़ेद बाघों का 1959 तक का विवरण इकट्ठा किया, इसमें असम, जहां उनका चाय बागान था, की संख्या को शुमार नहीं किया गया है, हालांकिअसम के आर्द्रतावाले जंगल को गी द्वारा काले बाघों के बसेरे के लिए उपयुक्त बताया गया है. जंगल में रहने वाले कुछ बाघों में लालनुमा धारियां थीं, उन्हें "लाल बाघ" के नाम से जाना जाता है. 1900 के दशक के शुरू में दो सफ़ेद बाघों को गोली मारने के बाद उनके नाम पर ऊपरी असम के टी एस्टेट का नाम बोगा-बाघ या "व्हाइट टाइगर" पड़ गया. ऑर्थर लोक के लेखन "द टाइगर ऑफ ट्रेनगानु" (1954) में सफ़ेद बाघों का जिक्र है.
कुछ क्षेत्रों में, यह जानवर स्थानीय परंपरा का एक हिस्सा है. चीन में इसे पश्चिम के देवता बैहू (जापान में बायक्कू और कोरिया में बैक-हो ) के रूप में सम्मान दिया जाता है, जो उंटमून और धातु से सम्बद्ध है. दक्षिण कोरिया के राष्ट्रीय झंडे में टैगवेक प्रतीक के रूप में सफ़ेद बाघ को दर्शाया गया है – सफ़ेद बाघ बुराई का प्रतीक है, इसके विपरीत हरा ड्रैगनअच्छाई का. भारतीय अंधविश्वास में सफ़ेद बाघ हिंदू देवता का अवतार माना गया है, और माना जाता है जो कोई इसे मारेगा वह साल भर के अंदर मर जाएगा. सुमात्रा और जावा के शाही घराने को सफ़ेद बाघों का वंशज होने का दावा किया जाता था और इन जानवरों को शाही घराने का पुनर्जन्म माना जाता था. जावा में सफ़ेद बाघ को विलुप्त हिंदी साम्राज्यों और भूत-प्रेत से सम्बद्ध किया जाता था. सत्रहवीं सदी के राजदरबार के संरक्षक का प्रतीक भी यही था.
मुगल साम्राज्य (1556-1605) के दौरान भारत के जंगलों में काली धारीवाले सफ़ेद बाघ देखे गए थे. ग्वालियर के निकट शिकार करते हुए अकबर की 1590 साल की एक पेंटिंग में चार बाघ दिखाई देते हैं, जिनमें से दो सफ़ेद लगते हैं.[12] इस चित्रकारी को आपhttp://www.messybeast.com/genetics/tigers-white.htm में देख सकते हैं. इसके अलावा 1907 और 1933 के बीच भारत के विभिन्न क्षेत्रों: उड़ीसा, बिलासपुर, सोहागपुर और रीवा, में सफ़ेद बाघों के अधिक से अधिक 17 उदाहरण दर्ज किए गए. 22 जनवरी 1939 को नेपाल की तराई के बरदा शिविर में नेपाल के प्रधानमंत्री ने एक सफ़ेद बाघ को गोली मार दी. आखिरी बार देखे गए जंगली सफ़ेद बाघ को 1958 में गोली मार दी गयी थी, और माना जाता है कि जंगल से बाघ विलुप्त हो चुके हैं.[9] तब से भारत में जंगल में रहने वाले सफ़ेद बाघों के बारे में कहानियां बनती रही हैं, लेकिन इन्हें किसी ने विश्वासयोग्य नहीं माना है. औपचारिक रूप से बताया गया है कि जिम कॉर्बेट अपने "मैन-इटर ऑफ कुमाऊं" (1964)[49] में एक सफ़ेद बाघिन का सन्दर्भ देते हैं कि उनके लिए सफ़ेद बाघ सामान्य से अधिक कुछ भी नहीं थे, उन्होंने दो नारंगी शावकों के साथ इस सफ़ेद बाघिन पर फिल्म बनाया था. कॉर्बेट की यह श्वेत-श्याम फिल्म की फुटेज जंगल में रहने वाले सफ़ेद बाघ की शायद एकमात्र ऐसी फिल्म है जो अस्तित्व में है. इससे यह भी साफ होता है कि जंगल में सफ़ेद बाघों का अस्तित्व था और वहां उन्होंने बच्चे भी पैदा किए थे. इस फिल्म का इस्तेमाल नैशनल जियोग्राफी के दस्तावेजी-नाट्य रूपांतर "मैन-ईटर्स ऑफ इंडिया" (1984) में किया गया था जो कि कॉर्बेट के जीवन के बारे में और उनकी 1957 की इसी नाम की एक पुस्तक पर आधारित था. सफ़ेद बाघ का एक सिद्धांत कहता है कि वे अन्तःसंयोग के सूचक थे, क्योंकि अत्यधिक शिकार और प्राकृतिक आवास के खत्म होने के परिणामस्वीरूप बाघों की आबादी कम होती चली गयी. 1965 में वाशिंगटन डी. सी. में हिलवुड एस्टेट, जो अब एक म्युजियम की तरह संचालित है, में मार्जोरी मेरीवेदर पोस्ट के "इंडिया कलेक्शन" में एक चेयर था जिसकी गद्दी सफ़ेद बाघ के चमड़े की थी. इसकी एक रंगीन तस्वीर लाइफ पत्रिका के 5 नवंबर 1965 के अंक में छपी थी.[50] अक्तूबर नैशनल जिओग्राफी के 1975 के अंक में संयुक्त अरब अमीरात के रक्षामंत्री के दफ्तर की प्रकाशित तस्वीरों में सफ़ेद बाघों की भरमार है.[51] अभिनेता सीजर रोमेरो के पास एक सफ़ेद बाघ की खाल थी.
लोकप्रिय संस्कृति[संपादित करें]
सफ़ेद बाघों को साहित्य, वीडियो गेम, टेलीविजन और कॉमिक किताबों में अकसर पेश किया जाता है. ऐसे मिसालों में स्वीडिश रॉक बैंड केंट भी शामिल है, जिसने 2002 में अपने सबसे अधिक ब्रिकी हुए एलबम वेपेन एंड एमुनेशन के कवर पर सफ़ेद बाघ को दिखाया. यह बैंड की ओर से हावथ्रोन सर्कस के मुख्य आकर्षण को उनके अपने शहर एस्किलस्टूना के स्थानीय चिड़ियाघर में लाये गए सफ़ेद बाघ के लिए श्रद्धांजलि थी. अमेरिका के सिंथ-रॉक बैंड द कीलर ने भी अपने "ह्युमन" गीत के वीडियो में सफ़ेद बाघ को दिखाया. 1980 के दशक में सफ़ेद बाघ के नाम पर अमेरिका के एक आकर्षक धातु का भी नाम व्हाइट टाइगर रखा गया.
अरविंद अदिगा के उपन्यास "द व्हाइट टाइगर" ने 2008 में मैन बुकर प्राइज जीता. मुख्य किरदार और सूत्रधार अपने आपको "द व्हाइट टाइगर" कहता है. यह बच्चे के रूप में उसे दिया गया एक उपनाम था जो दर्शाता है कि "जंगल" (उसका शहर) में वह अनोखा था, यह भी कि वह दूसरों से कहीं अधिक होशियार था.
सफ़ेद बाघों से संबंधित खेलों में ज़ू टाइकून (Zoo Tycoon) और वारक्राफ्ट युनिवर्स (Warcraft universe) शामिल हैं. माइटी मोरफिन पावर रेंजर्सऔर जापानी सुपर सेंटाई दोनों श्रृंखलाओं में व्हाइट टाइगर की थीम वाली मेका (mecha) का इस्तेमाल किया गया है, पावर रेंजर श्रृंखला की उत्पत्ति सुपर सेंटाई से ही हुई है. Power Rangers: Wild Force और इसके सेंटाई प्रतिरूप से उत्पन्न व्हाइट रेंजर में भी व्हाइट टाइगर की थीम वाला मेका के साथ-साथ व्हाइट टाइगर की शक्ति भी है.
कनाडा के ओंटारियो के बोमैनविल ज़ू के एक प्रशिक्षित सफ़ेद बाघ का उपयोग एनिमोर्फ्स टीवी श्रृंखला में किया गया था. हीरोज ऑफ माइट एंड मैजिक IV में भी सफ़ेद बाघों को दिखाया गया है, जहां वे नेचर टीम की लेवल 2 यूनिट हैं. यहां तक कि डेक्स्टर्स लैबोरेटरी में व्हाइट टाइगर और द जस्टिस फ्रेंड्स थे, और एनीमे रॉनिन वारियर्स में व्हाइट ब्लेज नाम के एक सफ़ेद बाघ को कई बार दिखाया गया है. गिल्ड वार्स फैक्शंस में व्हाइट टाइगर्स को एक जंगली, पालनेलायक "पालतू" साथी के रूप में दिखाया गया है. अंत में, सफ़ेद बाघों की लोकप्रियता के कारण निजी उपयोगकर्ताओं नेElder Scrolls IV: Oblivion के मौड्स या खेल पैच बनाने के लिए खजित प्रजातियों के बाघों में परिवर्तन करके उनमें वास्तविक लगने वाली ऊंचाई और मानक शारीरिक आकार सहित सफ़ेद बाघों के अभिलक्षणों का समावेश करना शुरू किया.
इसी तरह बीस्ट वार्स का पात्र टिगोट्रोन जो व्हाइट टाइगर कॉमिक बुक का हीरो है, सफ़ेद बाघ के रूप में बदल जाता है. The Chronicles of Narnia: The Lion, the Witch and the Wardrobe फिल्म में सफ़ेद बाघ को व्हाइट विच के लिए लड़ते हुए दिखाया गया है.
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