जयराम शुक्ल
अमीरों के मनोरंजन के लिए रचा गया आईपीएल का तमाशा खेल भावना का किस तरह सत्यानाश कर रहा है और नवोदित खिलाड़ियों को पतित बना रहा है, हाल के स्टिंग आॅपरेशन से यह बात सामने आ गई है। अपने लिए यह हादसा इसलिए भी मायने रखता है कि इस दुष्चक्र में फंसने वालों में से एक मोहनीश मिश्र विंध्य में क्रिकेट की संभावनाओं का सबसे चमकदार चेहरा है। रीवा शहर के गली-कूचों से क्रिकेट करियर की शरुआत करने वाले मोहनीश की प्रतिभा का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वे आस्ट्रेलियाई धुरंधर एडम गिलक्रिस्ट की आंखों के तारे हैं और गिली इनमें क्रिकेट की सितारा छवि देखते हैं। क्रिकेट को खेल से मनोरंजन और मनोरंजन से अमीरों की हवस बना देने वाले बीसीसीआई ने भले ही इस स्टिंग आॅपरेशन को आधार बनाकर क्रिकेटरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की हो पर खेल भावना के बाजारीकरण का दुष्कर्म करने की शुरुआत उसी ने की थी। आईपीएल के पहले कमिश्नर ललित मोदी इसकी सजा भोग भी रहे हैं! दरअसल क्रिकेट के आईपीएल फार्म में खेल भावना की कहीं गुंजाइश ही नहीं। खिलाड़ी रेस के घोड़ों की तरह नीलाम होते हैं और इनके खरीददार प्रीति जिंटा, नीता अंबानी, शाहरुख खान, विजय माल्या और सुब्रत राय सहारा जैसे लोग हैं, जो इस तमाशे का आनंद उसी तरह से लूटते हैं जैसे आदम युग में वनवासी लोग मुर्गों की खूनी लड़ाई का लुत्फ उठाते थे। मैदान में चीयर गर्ल्स, वीआईपी बॉक्स में शराबखोरी और इश्क मिजाजी, मैदान के बाहर सटोरियों और मैच फिक्स करने वालों के गिरोह, आईपीएल के अघोषित हिस्से बन चुके हैं। टीवी चैनलों ने भी इस तमाशे को हाइप देकर दर्शकों को उसी तरह बांधने की कोशिश की है जैसे मेले में डमरू बजाने वाले बाजीगर। क्या बच्चा, क्या जवान, क्या बूढ़े सभी घंटों का कीमती वक्त इस निरर्थक तमाशे में जाया करते हैं। नए प्रतिभाशाली खिलाड़ी जल्दी अमीर व सेलिब्रिटी बनने के चक्कर में आईपीएल के मोहपाश में फंसकर खेल, खेल भावना और नैतिकता को दांव पर लगा रहे हैं। यह अच्छी बात है कि संसद ने इस पर चिन्ता जाहिर की। आईपीएल को बंद करने के भी स्वर उठने लगे हैं। पर यह सबको मालूम है कि क्रिकेट संघ के जिले से लेकर राष्ट्रीय संगठन तक सभी पदाधिकारी नेता हैं, और जैसा कि सोशल साइटों में प्रतिक्रियाओं का दौर चल रहा है कि जब तक नेताओं की छाया खेल संघों पर रहेगी भ्रष्टाचार इसी तरह सड़ांध मारता रहेगा, कोई क्या कर लेगा?
अमीरों के मनोरंजन के लिए रचा गया आईपीएल का तमाशा खेल भावना का किस तरह सत्यानाश कर रहा है और नवोदित खिलाड़ियों को पतित बना रहा है, हाल के स्टिंग आॅपरेशन से यह बात सामने आ गई है। अपने लिए यह हादसा इसलिए भी मायने रखता है कि इस दुष्चक्र में फंसने वालों में से एक मोहनीश मिश्र विंध्य में क्रिकेट की संभावनाओं का सबसे चमकदार चेहरा है। रीवा शहर के गली-कूचों से क्रिकेट करियर की शरुआत करने वाले मोहनीश की प्रतिभा का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वे आस्ट्रेलियाई धुरंधर एडम गिलक्रिस्ट की आंखों के तारे हैं और गिली इनमें क्रिकेट की सितारा छवि देखते हैं। क्रिकेट को खेल से मनोरंजन और मनोरंजन से अमीरों की हवस बना देने वाले बीसीसीआई ने भले ही इस स्टिंग आॅपरेशन को आधार बनाकर क्रिकेटरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की हो पर खेल भावना के बाजारीकरण का दुष्कर्म करने की शुरुआत उसी ने की थी। आईपीएल के पहले कमिश्नर ललित मोदी इसकी सजा भोग भी रहे हैं! दरअसल क्रिकेट के आईपीएल फार्म में खेल भावना की कहीं गुंजाइश ही नहीं। खिलाड़ी रेस के घोड़ों की तरह नीलाम होते हैं और इनके खरीददार प्रीति जिंटा, नीता अंबानी, शाहरुख खान, विजय माल्या और सुब्रत राय सहारा जैसे लोग हैं, जो इस तमाशे का आनंद उसी तरह से लूटते हैं जैसे आदम युग में वनवासी लोग मुर्गों की खूनी लड़ाई का लुत्फ उठाते थे। मैदान में चीयर गर्ल्स, वीआईपी बॉक्स में शराबखोरी और इश्क मिजाजी, मैदान के बाहर सटोरियों और मैच फिक्स करने वालों के गिरोह, आईपीएल के अघोषित हिस्से बन चुके हैं। टीवी चैनलों ने भी इस तमाशे को हाइप देकर दर्शकों को उसी तरह बांधने की कोशिश की है जैसे मेले में डमरू बजाने वाले बाजीगर। क्या बच्चा, क्या जवान, क्या बूढ़े सभी घंटों का कीमती वक्त इस निरर्थक तमाशे में जाया करते हैं। नए प्रतिभाशाली खिलाड़ी जल्दी अमीर व सेलिब्रिटी बनने के चक्कर में आईपीएल के मोहपाश में फंसकर खेल, खेल भावना और नैतिकता को दांव पर लगा रहे हैं। यह अच्छी बात है कि संसद ने इस पर चिन्ता जाहिर की। आईपीएल को बंद करने के भी स्वर उठने लगे हैं। पर यह सबको मालूम है कि क्रिकेट संघ के जिले से लेकर राष्ट्रीय संगठन तक सभी पदाधिकारी नेता हैं, और जैसा कि सोशल साइटों में प्रतिक्रियाओं का दौर चल रहा है कि जब तक नेताओं की छाया खेल संघों पर रहेगी भ्रष्टाचार इसी तरह सड़ांध मारता रहेगा, कोई क्या कर लेगा?
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