दशरथ की एक बेटी थी शान्ता
लोग बताते हैंजब वह पैदा हुई
अयोध्या में अकाल पड़ा
बारह वर्षों तक...
धरती धूल हो गयी...!
धरती धूल हो गयी...!
चिन्तित राजा को सलाह दी गयी कि
उनकी पुत्री शान्ता ही अकाल का कारण है!
उनकी पुत्री शान्ता ही अकाल का कारण है!
राजा दशरथ ने अकाल दूर करने के लिए
शृंगी ऋषि को पुत्री दान दे दी...
शृंगी ऋषि को पुत्री दान दे दी...
उसके बाद शान्ता
कभी नहीं आयी अयोध्या...
लोग बताते हैं
दशरथ्ा उसे बुलाने से डरते थे...
कभी नहीं आयी अयोध्या...
लोग बताते हैं
दशरथ्ा उसे बुलाने से डरते थे...
बहुत दिनों तक सूना रहा अवध का आंगन
फिर उसी शान्ता के पति शृंगी ऋषि ने
दशरथ का पुत्रेष्टि यज्ञ कराया...
दशरथ चार पुत्रों के पिता बन गये...
संतति का अकाल मिट गया...
फिर उसी शान्ता के पति शृंगी ऋषि ने
दशरथ का पुत्रेष्टि यज्ञ कराया...
दशरथ चार पुत्रों के पिता बन गये...
संतति का अकाल मिट गया...
शान्ता राह देखती रही
अपने भाइयों की...
पर कोई नहीं गया उसे आनने
हाल जानने कभी
अपने भाइयों की...
पर कोई नहीं गया उसे आनने
हाल जानने कभी
मर्यादा पुरुषोत्तम भी नहीं,
शायद वे भी रामराज्य में अकाल पड़ने से डरते थे
जबकि वन जाते समय
राम
शान्ता के आश्रम से होकर गुज़रे थे...
पर मिलने नहीं गये...
शायद वे भी रामराज्य में अकाल पड़ने से डरते थे
जबकि वन जाते समय
राम
शान्ता के आश्रम से होकर गुज़रे थे...
पर मिलने नहीं गये...
शान्ता जब तक रही
राह देखती रही भाइयों की
आएंगे राम-लखन
आएंगे भरत शत्रुघ्न
बिना बुलाये आने को
राजी नहीं थी शान्ता...
सती की कथा सुन चुकी थी बचपन में,
दशरथ से।
राह देखती रही भाइयों की
आएंगे राम-लखन
आएंगे भरत शत्रुघ्न
बिना बुलाये आने को
राजी नहीं थी शान्ता...
सती की कथा सुन चुकी थी बचपन में,
दशरथ से।
बोधिसत्व
मूलनाम- अखिलेश कुमार मिश्र
इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हिंदी में एम. ए. और वहीं से 'तार सप्तक के कवियों के काव्य सिद्धान्त' पर पी.एच.डी की उपाधि ली। यूजीसी का रिसर्च फैलो रहा। प्रकाशन- सिर्फ कवि नहीं (1991), हम जो नदियों का संगम हैं (2000), दुख तंत्र ( 2004), खत्म नहीं होती बात (2010) ये चार कविता संग्रह प्रकाशित हैं। तारसप्तक-काव्य सिद्धान्त और कविता नामक शोध प्रबंध (2011) लंबी कहानी वृषोत्सर्ग (2005) छपी. संपादन- गुरवै नम: (2002), भारत में अपहरण का इतिहास (2005), रचना समय के शमशेर जन्म शती अंक का संपादन (2010)। प्रकाशनाधीन- कविता की छाया में (लेख,समीक्षा और व्याख्या)।
अन्य लेखन- शिखर (2005), धर्म ( 2006) जैसी फिल्मों और दर्जनों टीवी धारावाहिकों का लेखन। सम्मान- कविता के लिए 'भारत भूषण अग्रवाल सम्मान', 'गिरिजा कुमार माथुर सम्मान', 'संस्कृति अवार्ड', 'हेमंत स्मृति सम्मान' प्राप्त। अन्य- कुछ कविताएँ देशी विदेशी भाषाओं में अनूदित हैं। कुछ कविताएँ मास्को विश्वविद्यालय के स्नातक के पाठ्यक्रम में पढ़ाई जाती है। दो कविताएँ गोवा विश्व विद्यालय के स्नातक पाठ्यक्रम में शामिल थीं। फिलहाल- पिछले 10 साल से मुंबई में बसेरा है। सिनेमा, टेलीविजन और पत्र-पत्रिकाओं के लिए लेखन का काम। ईमेल- abodham@gmail.co
मूलनाम- अखिलेश कुमार मिश्र
इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हिंदी में एम. ए. और वहीं से 'तार सप्तक के कवियों के काव्य सिद्धान्त' पर पी.एच.डी की उपाधि ली। यूजीसी का रिसर्च फैलो रहा। प्रकाशन- सिर्फ कवि नहीं (1991), हम जो नदियों का संगम हैं (2000), दुख तंत्र ( 2004), खत्म नहीं होती बात (2010) ये चार कविता संग्रह प्रकाशित हैं। तारसप्तक-काव्य सिद्धान्त और कविता नामक शोध प्रबंध (2011) लंबी कहानी वृषोत्सर्ग (2005) छपी. संपादन- गुरवै नम: (2002), भारत में अपहरण का इतिहास (2005), रचना समय के शमशेर जन्म शती अंक का संपादन (2010)। प्रकाशनाधीन- कविता की छाया में (लेख,समीक्षा और व्याख्या)।
अन्य लेखन- शिखर (2005), धर्म ( 2006) जैसी फिल्मों और दर्जनों टीवी धारावाहिकों का लेखन। सम्मान- कविता के लिए 'भारत भूषण अग्रवाल सम्मान', 'गिरिजा कुमार माथुर सम्मान', 'संस्कृति अवार्ड', 'हेमंत स्मृति सम्मान' प्राप्त। अन्य- कुछ कविताएँ देशी विदेशी भाषाओं में अनूदित हैं। कुछ कविताएँ मास्को विश्वविद्यालय के स्नातक के पाठ्यक्रम में पढ़ाई जाती है। दो कविताएँ गोवा विश्व विद्यालय के स्नातक पाठ्यक्रम में शामिल थीं। फिलहाल- पिछले 10 साल से मुंबई में बसेरा है। सिनेमा, टेलीविजन और पत्र-पत्रिकाओं के लिए लेखन का काम। ईमेल- abodham@gmail.co
बोधिसत्व का लेखन तारीफ़ का मोहताज़ नहीं है. मुझे गर्व है कि बोधिसत्व मेरे मित्र हैं.
ReplyDeleteYour this story is away from truth. Kindly revise your thinking and knowledge.
ReplyDeleteBy Line:
Dr. S. K. Dubey
Mo: 09213032623 (New Delhi)
मैंने अपने जीवन में राजा दशरथ की पुत्री तथा भगवान श्री राम की बहन जिसका नाम शांता लिखा है, के बारे में आज पहली बार जाना है. किंतु इस तथ्य की पुष्टि के लिए कोई प्रमाण उपलब्ध नजर नहीं आया | यदि किसी के पास हो तो बताए | .......Dr. Aar S Dikshit. Email: drrsd500@gmail.com
ReplyDeleteकितना जीवन गुजर गया ?
Deleteये सही है कि कौशल्या ने शांता को जन्म दी।
उस काल में राजा अपनी पुत्री को ऋषि को बचपन में ही सौंप देते थे। इस तरह के बहुत सारे उदाहरण हैं।