Wednesday, December 14, 2011

जनता की अदालत का रास्ता तो खुला है


 नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल से स्टार समाचार की बातचीत 
हाल ही में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को लेकर धारदार और तर्कसंगत प्रस्तुति के बाद नई राजनीतिक छवि के साथ उभरे नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल का कहना है कि संख्याबल की वजह से सदन में भले ही प्रस्ताव गिर गया हो पर जनता की अदालत में जाने का रास्ता खुला है। अब कांग्रेस के कार्यकर्ता पूरे प्रदेश में जनता के बीच पहुंचकर सरकार और उसके मंत्रियों के कच्चे चिट्ठे खेलेंगे। विन्ध्य क्षेत्र के चार दिवसीय प्रवास पर आए श्री राहुल ने विभिन्न समसामयिक मुद्दों पर स्टार समाचार से  विस्तृत बातचीत की।
 अविश्वास के मुद्दों का जवाब नहीं मिला  
मुख्यमंत्री और मंत्रियों ने अविश्वास प्रस्ताव के एक भी मुद्दे का जवाब नहीं दिया। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि तथ्यों के साथ बिंदुवार हमने, खनिजों के अवैध कारोबार, सड़कों के ठेके, बिना टेंडर की बिजली खरीदी, मंत्रियों के परिजनों की अंधेरगर्दी समेत कई मामले रखे पर अफसोस तीन घंटे के भाषण में आरोपों का तथ्यपरक जवाब देने के बजाय मुंख्यमंत्री ने सिर्फ कोरी लफ्फाजी की। हो सकता है मुख्यमंत्री को अविश्वास प्रस्ताव की गंभीरता और सदन के नियम प्रक्रियाओं की जानकारी न हो। मालुम होना चाहिए कि दिग्विजय सिंह सरकार के खिलाफ विक्रम वर्मा ने अविश्वास प्रस्ताव लाया था और परिणाम यह निकला कि तीन मंत्रियों को कैबिनेट से अलग कर दिया गया था, जबकि उन पर सिर्फ आरोप ही लगे थे।
मुख्यमंत्री के सतना प्रेम का रहस्य 
यह तो ऐसा ही है जैसा कि कभी सीधी प्रेम हुआ करता था। इसी प्रेम के चलते सीधी के दो टुकड़े हो गए। सतना का क्या हश्र होगा समझ सकते हैं। वैसे मुख्यमंत्रीजी के सतना प्रेम की वजह लोकनिर्माण मंत्री नागेंद्र सिंह हो सकते हैं जो इनदिनों उनके ठेकेदार रिश्तेदारों के गॉडफादर हैं। वैसे जहां तक नागेंद्र सिंह को सीधी का प्रभार सौंपने का सवाल है तो उनका स्वागत है। चुरहट- सीधी की जनता सोए या जागे शेर की असलियत भलीभाँति समझती है। ये सरकार मेरी लाख घेराबंदी करे, यहां जन-जन से मेरे रिश्ते हैं और इस पर भाजपा का कोई राजनीतिक प्रपंच नहीं चलने वाला।
खाद संकट: सरकार की लापरवाही 
हर मुद्दों पर केंद्र सरकार पर ठीकरा फोड़ना भाजपा सरकार का शगल बन चुका है। खाद के मामले में प्रशासनतंत्र का कुप्रबंधन और किसानों के हितों की अनदेखी जिम्मेदार है। सच यह है कि सरकार ने ऐन मौके पर इंडेन्ट (मांगपत्र) दिया, उस समय अन्य प्रांतों का भी दबाव बना रहता है। ऐसे में खाद के समय पर पहुंचने में दिक्कत होती है। कांग्रेस सरकार के समय यह प्रक्रिया सीजन के तीन महीने पहले ही कर ली चाती थी। गोदामों में जरूरत के मुताबिक भंडारण हो जाता था। मुझे लगता है कुछ न कुछ गड़बड़ है, क्योंकि ब्लैक मार्केट में तो खाद उपलब्ध है पर समितियों में नहीं। प्रदेश सरकार किसानों के प्रति अपनी जवाबदेही से बच नहीं सकती।
पीसीसी से सहमति रहे तो बेहतर होगा 
हाल ही में सतना में किसानों के नाम पर हुए कांग्रेस के  आयोजन को लेकर उठे विवाद पर नेता प्रतिपक्ष श्री राहुल का कहना था ऐसे आयोजनों को लेकर कोई हर्ज नहीं पर यह बेहतर होगा कि कांग्रेस के आयोजन पीसीसी की सहमति और उसकी जानकारी में हो और सभी कार्यकार्ताओं की भागीदारी रहे।जहां तक पृथक विन्ध्यप्रदेश की मांग का सवाल है तो यह कोई नई मांग नहीं है। छोटे राज्यों को लेकर कांग्रेस का अपना स्पष्ट नजरिया है, इसके लिए एक सक्षम कमेटी बने और अलग राज्यों की मांग के औचित्य का परीक्षण करे। छत्तीसगढ़ के अलग हो लाने से कुछ समस्याएं आर्इं तो है।
स्कूल आॅफ माइन्स के लिए जमीन नहीं दे रही सरकार 
सिंगरौली में स्कूल आॅफ माइन्स केंद्र सरकार द्वारा पहले से ही प्रस्तावित है। जमीन तो राज्य सरकार को उपलब्ध कराना है।  जमीन और जरूरी संसाधन देने की बजाय मुख्यमंत्री घोषणा करने में लगे हैं, और उनकी घोषणाओं का क्या हश्र होता है यह उनकी पार्टी के लोग ज्यादा बेहतर जानते हैं।

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