Tuesday, April 23, 2013

बलात्कार के एक लाख अभियुक्त 'बाइज़्ज़त बरी'


 मंगलवार, 23 अप्रैल, 2013 को 12:20 IST तक के समाचार
बलात्कार
बलात्कार की बढ़ती घटनाओं के बाद सरकार पर कड़े कानून बनाने का दबाव रहा है.
पिछले साल दिसंबर में एक छात्रा के साथ चलती बस में हुई सामूहिक बलात्कार की घटना के बाद से भारत में महिलाओं के विरुद्ध होने वाले अपराधों पर लंबी बहस जारी है.
बलात्कार विरोधी एक नए कानून से लेकरक्लिक करेंबलात्कारियों को मौत की सज़ा दी जाए या नहीं, इस पर अभी भी पूर्ण रूप से सहमति नहीं बन सकी है.
लेकिन इस सब के बीच हैं आंकड़ों का सच, जो बताते हैं कि भारत में महिलाओं के खिलाफ़ होने वाले अपराधों के अलावा अभियुक्तों के विरुद्ध पुख्ता सबूत न होने की वजह से भी उनकी रिहाई हो जाती है.
अपराधों का लेखा जोखा रखने वाली संस्था नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार 2001 से लेकर 2010 तक दर्ज किए गए बलात्कार के मामलों में मात्र 36,000 अभियुक्तों के खिलाफ ही अपराध साबित हो सके.

'निर्दोष'

बलात्कार
दिसंबर में सामूहिक बलात्कार घटना के बाद अप्रैल में बच्ची के बलात्कार मामले ने तूल पकड़ लिया.
भारत के गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने सोमवार को संसद में बयान दिया था कि दिल्ली में हुई बलात्कार की घटनाओं की तरह ये वाकये पूरे देश भर में होते हैं.
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार 2001 और 2010 के बीच एक लाख चालीस हज़ार से भी ज्यादा दर्ज किए इस तरह के मामलों में से कम से कम एक लाख ऐसे अभियुक्त थे, जिन्हें प्रमाण के अभाव में क्लिक करेंनिर्दोष करार दिया गया.
गौर करने वाली बात ये भी है कि इस एक लाख में 14,500 से भी ज्यादा मामले ऐसे थे, जिनमे अभियुक्तों के खिलाफ नाबालिग लड़कियों का बलात्कार करने का आरोप था.
साथ ही इस एक लाख से भी ज्यादा के आंकड़े में करीब 9,000 ऐसे भी मामले थे, जिन्हें पुलिस की प्रारंभिक जांच के बाद बंद करना पड़ा.

अपराध

बलात्कार
बलात्कार विरोधी प्रदर्शनों में महिलाओं ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया है.
सभी अपराधों के बारे में आंकडे जुटाने और जारी करने वाली संस्था नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार बलात्कार के मामलों में आंकड़े साल 1971 के बाद से ही उपलब्ध हैं.
जहाँ 1971 में इस तरह के 2,487 मामले दर्ज किए गए थे वहीं 2011 में दर्ज किए गए मामलों की संख्या 24,206 थी यानी 873% से भी ज्यादा की बढ़ोत्तरी!
शायद यही वजह है कि ट्रस्ट लॉ नामक थॉमसन रायटर्स की संस्था ने जी-20 देशों के समूह में भारत को महिलाओं के रहने के लिए सबसे बदतर जगह बताया है.
ख़ास बात ये भी है कि अपराधों का मामला सिर्फ बलात्कार तक सीमित नहीं है.
महिलाओं के विरुद्ध होने वाले अपराधों के जो आंकड़े 2011 में जारी किए गए हैं, उनमे अपहरण की घटनाएँ 19.4% बढ़ी हैं जबकि 2010 की तुलना में 2011 में महिलाओं की तस्करी के मामलों में पूरे 122% का इज़ाफा दर्ज किया गया था.

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