Tuesday, April 1, 2014

नेतृत्व में बदलाव चाहते हैं भारतीय: प्यू रिसर्च


भारतीय
अमरीका के एक शोध संस्थान के एक सर्वेक्षण के मुताबिक़ अधिकांश भारतीय देश की मौजूदा स्थिति से संतुष्ट नहीं हैं और चुनाव के बाद नेतृत्व में बदलाव चाहते हैं.
प्यू रिसर्च सेंटर के इस सर्वे के अनुसार लड़खड़ाती अर्थव्यव्था के बावजूद लोग अपनी निजी वित्तीय स्थिति से खुश हैं और देश के साथ ही अगली पीढ़ी की आर्थिक स्थिति के बारे में आशावान हैं.
प्यू रिसर्च सेंटर ने सात दिसंबर 2013 से 12 जनवरी 2014 के बीच कराए इस सर्वेक्षण में 2,464 लोगों को शामिल किया था और उनसे आमने-सामने साक्षात्कार लिए गए थे.
सर्वे के मुताबिक़ 70 प्रतिशत भारतीय देश के मौजूदा हालात से संतुष्ट नहीं है जबकि 29 प्रतिशत लोगों ने इस पर संतुष्टि जताई.
असंतुष्टि और संतोष का यह फ़र्क उन लोगों में भी था, जो चाहते थे कि भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व में अगली सरकार बने और उन लोगों में भी था जो चाहते थे कि कांग्रेस के नेतृत्व वाला सत्तारूढ़ वर्तमान यूपीए गठबंधन ही अगली सरकार बनाए.
सर्वे कहता है कि तीन में से एक आदमी (63% में से 19%) चाहता है कि कांग्रेस नहीं भारतीय जनता पार्टी अगली सरकार का नेतृत्व करे.

आतंकवाद बड़ी समस्या

हालांकि आर्थिक मंदी के बाद भी आधे से अधिक भारतीय (57%) देश के आर्थिक प्रदर्शन को 'ठीक-ठाक' बताते हैं और दो तिहाई नागरिक (64%) उम्मीद करते हैं कि देश के बच्चे युवा होकर आज की पीढ़ी से बेहतर रहेंगे.
भ्रष्टाचार
83 प्रतिशत भारतीय यह मानते हैं कि भ्रष्टाचार एक एक बड़ी समस्या है.
सर्वे में चीन को लेकर भारतीयों का मत विभाजित नज़र आया. 35% उसे पसंद करते हैं जबकि 41% नापसंद. और चीन के मुकाबले अमरीका के प्रति भारतीय 21% ज़्यादा सकारात्मक हैं.
करीब चार में एक भारतीय (47% में से 12%) भारतीयों का कहना है कि चीन के बजाय अमरीका दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्था है. हालांकि एक तिहाई भारतीय मानते हैं कि चीन अमरीका को हटाकर दुनिया की सबसे बड़ी शक्ति बन गया है, या बन जाएगा.
करीब 10 में से नौ भारतीय आतंकवाद को देश के लिए बहुत बड़ी समस्या मानते हैं. दो तिहाई मानते हैं कि इस्लानमिक चरमपंथी समूह भारत के लिए मुख्य खतरा हैं और करीब दस में से छह लोगों को डर था कि ऐसे समूहों पर पाकिस्तान नियंत्रण कर सकता है.
कुल मिलाकर सिर्फ़ 19% भारतीयों ने पाकिस्तान के प्रति सकारात्मक नज़रिया दिखाया और भार के लिए सबसे बड़े ख़तरे के रूप में पाकिस्तान, चीन, लश्कर-ए-तैयबा और नक्सलियों में से 47 % ने पाकिस्तान को चुना.
इसके बावजूद अधिकतर (64%) भारतीयों ने कहा कि वह पाकिस्तान से बेहतर संबंध चाहते हैं और आधे से ज़्यादा ने कहा कि दोनों देशों के बीच ज़्यादा बातचीत, ज़्यादा व्यापार का वह समर्थन करते हैं.

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