Monday, February 9, 2015

पटेल, टैगोर के बाद अब निराला पर नजर

पटेल, टैगोर के बाद अब निराला पर नजर


सूर्यकांत त्रिपाठी निराला। सौजन्यः विकिपीडिया।
सूर्यकांत त्रिपाठी निराला। सौजन्यः विकिपीडिया।
शेयर करेंभोपाल
लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल और कविगुरु रवींद्रनाथ टैगोर के बाद अब आरएसएस और बीजेपी ने महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' पर अपनी नजर डाली है। मध्य प्रदेश बीजेपी के मुखपत्र 'चरैवेति' में निराला को 'हिंदू राष्ट्रवादी चेतना के प्रखर कवि' के बतौर जगह दी गई है।
'चरैवेति' के संपादक जयराम शुक्ल से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि महाकवि निराला छायावादी दौर के सबसे ओजस्वी एवं तेजस्वी कवि थे जिन्होंने अपनी रचनाओं में हिंदू राष्ट्रवादी चेतना का निडरता और प्रखरता के साथ उद्घोष किया।

यह पूछने पर कि निराला को तो राष्ट्रवादी चेतना का कवि कहा जाता रहा है तो वह हिंदू राष्ट्रवादी चेतना के कवि कैसे हो सकते हैं, उन्होंने कहा कि औरंगजेब के सेवादार राजा जयसिंह को महाराज शिवाजी की ओर से लिखी गई चिट्ठी को जिस तरह निराला ने गीत रूप में 'महाराज शिवाजी का पत्र' लिखा और 'राम की शक्ति पूजा' जैसी उनकी रचना उन्हें हिंदू राष्ट्रवादी चेतना के प्रखर कवि के बतौर स्थापित करती है।

उन्होंने कहा, 'महाराज शिवाजी का पत्र' आज भी पाठकों को झंकृत करती है। इस लंबे पत्र गीत में निराला ने राजा जयसिंह को महाराज शिवाजी की ओर से लिखे गए पत्र के मर्म को प्रस्तुत किया है। जयसिंह जब दक्षिण के सैन्य अभियान पर निकला तो शिवाजी ने हिंदू राष्ट्रवादी चेतना को आधार बनाते हुए उसे पत्र लिखा था। निराला का यह पत्र गीत आज भी कई मायनों में प्रासंगिक है।'
शुक्ल ने कहा कि 'चरैवेति' ने 'पुनर्पाठ' के नाम से एक स्थाई स्तंभ शुरू किया है जिसमें निराला के समकालीन कवियों सहित ऐसे कवियों और साहित्यकारों को प्रकाशित करना शुरू किया है जिन्होंने वैदिक संस्कृति और राष्ट्रवाद को अपने रचनाकर्म का विषय बनाया है। इनमें जयशंकर प्रसाद, रामधारी सिंह दिनकर, मैथिलीशरण गुप्त जैसे महान साहित्यकार शामिल हैं।

शुक्ल ने कहा कि यह सोचना गलत है कि केवल बीजेपी ही निराला को हिंदू राष्ट्रवादी चेतना के कवि के बतौर देखती है, उनकी रचानाएं पढ़िए फिर तय कीजिए कि उन्होंने हिंदू राष्ट्रवादी चेतना की हुंकार भरी थी कि नहीं। निराला अपनी 'जागो फिर एक बार' नामक कविता में लिखते हैं, 'योग्यजन जीता है, ये पश्चिम की उक्ति नहीं... गीता है... गीता है, स्मरण करो बार-बार।'
गौरतलब है कि गांधी की हत्या के बाद आरएसएस पर प्रतिबंध लगाने वाले तत्कालीन कांग्रेस सरकार के गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की नरेंद्र मोदी की ओर से सरदार सरोवर के बीच एक विशालकाय प्रतिमा लगाने और उनके आचार-विचारों की प्रशंसा करने पर कांग्रेस ने उनकी आलोचना की थी।

वहीं आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने संघ के एकत्रीकरण कार्यक्रम में कहा था कि कविवर रविन्द्रनाथ टैगोर ने अपनी किताब 'स्वदेशी समाज' में अंग्रेजों की आलोचना करते हुए लिखा था कि आपस में लड़कर हिंदू-मुस्लिम खत्म नहीं होंगे बल्कि इस संघर्ष से वे साथ रहने का रास्ता ढूंढ लेंगे और वह रास्ता 'हिंदू राष्ट्र' होगा।

No comments:

Post a Comment