Saturday, August 31, 2013

इस देश का यारो क्या कहना

जयराम शुक्ल
इन्डिया दैट इज भारत के नीले गगन के तले सबसे ताकतवर परिवार को आलाकमान कहा जाता है। यह अलोकतांत्रिक तरीके से गठित ऐसा समूह होता है जिसे हर वक्त लोकतंत्र की चिन्ता सताती रहती है। सत्ता यहीं आकर शरणागत होती है। आलाकमान यदि अपने अनुयायियों से कह दे कि यह आम नहीं इमली है, तो वह इमली होगी भले उसमें आम की टिकोरी लगी हो। आलाकमान का मुखिया उसी तरह पर्दे के पीछे रहस्यमयी तरीके से पार्टी संचालित करता व निर्देश देता है जैसे कि साठोत्तर दशक की फिल्मों का सफेदपोश खलनायक। अपने देश में हर राजनीतिक पार्टियों का आलाकमान हुआ करता है। सत्ता आने-जाने के साथ उसकी भूमिका में भी अदला-बदली होती रहती है। आज दिल्ली का आलाकमान ताकतवर है तो कल नागपुर का हो सकता है। केन्द्रीय आलाकमान की तर्ज पर सूबे के आलाकमान भी हुआ करते हैं। फिर छोटे-छोटे क्षेत्रों में बंटे हुए आलाकमान। यह इकाई एक जिले से एक विधानसभा क्षेत्र तक होती है। दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश में छोटे-छोटे दलों को सुप्रीमो लोग चलाया करते हैं। उनके दल का वजूद उन्हीं से शुरू होता है उन्हीं पर खत्म हो जाता है। हर वक्त लोकतंत्र और राष्ट्रीय एकता की दुहाई देने वाले ये छोटे-छोटे दल वस्तुत: गैंग की तरह संचालित होते हैं और उनका सुप्रीमो ही गैंगलीडर हुआ करता है।
इटली और अमेरिका के माफिया गिरोह पर लिखे गए मारियो पूजो के चर्चित उपन्यास गॉडफादर में वर्णित परिवारों और खानदानों की भांति अपने यहां भी राजनीतिक परिवार और खानदान हुआ करते हैं, जैसे डानकारलोन परिवार, टाटाग्लिया परिवार। किसी जमाने में राजनीतिक परिवारों व नेताओं के बीच प्रतिद्वंदिता हुआ करती थी, अब वह दुश्मनी में बदल गयी है। एक दूसरे को लांक्षित करने या खत्म करने के लिए सुपारियां तक देने का चलन हो चुका है। पूरे देश का तंत्र आलाकमानों और सुप्रीमों की मुठ्ठियों में है। इन्हें संविधान-कानून, लोकलाज और मयार्दा का भय नहीं व्यापता और हम मूरख लोग इनके चेहरों पर लगे लोकतांत्रिक व राजनीतिक दलों के मुखौटे को देखकर बहल जाते हैं।
सीबीआई की हिरासत में दिल्ली में मौजकर रहे भैय्याजी अपने क्षेत्र भैंसापुर के आलाकमान और सुप्रीमो दोनों हैं। इनके इशारे के बगैर पत्ता नहीं डोलता। ये जब चाहे दंगा करवा दें। विरोधी की सभा उखड़वा दें। दरअसल यही उनकी ताकत है। आजकल समाज में जिसकी जितनी न्यूसेंस वैल्यू होती है उतना ही उसका महत्व। भैय्याजी इसी न्यूजसेंस वैल्यू के साक्षात अवतार है और इसीलिए दिल्ली का आलाकमान उनसे मिलना चाहता है। भैय्याजी को सीबीआई ने पकड़ा तो एमडीएम जहरकाण्ड के लिए था, पर यह एक महज बहाना था। भैय्याजी इस सियासी अफसाने को भलीभांति समझ चुके थे। तय वादा और वक्त के मुताबिक भैय्याजी को आलाकमान के यहां ले जाया गया। आलाकमान सामने वाले की हैसियत देखकर अपना दूत तय करता है, सो भैय्याजी को डील करने के लिए घुघ्घूराजा तैनात किए गए। घुघ्घूराजा घाघ नेता माने जाते हैं। हर मसले पर उनकी जीभ जब लपर-लपर करके थक जाती है तो वे ट्वीट करने लगते है। उनकी ट्वीट ही राष्ट्रीय खबर बन जाती है। इसी विशिष्ट योग्यता की वजह से वे आलाकमान के सबसे चहेते दूत हैं। 
भैय्याजी से आमना-सामना होते ही घुघ्घूराजा ने पहला सवाल दागा...। 'नेताजी हम आपकी मदद क्यों करें?' 'हमने कब कहा कि मदद करें', भैयाजी ने जवाब दिया। 'तो आप जेल में सड़ते रहेंगे', घुघ्घूराजा ने धमकाया। 'हमारी छोड़ो आपकी पार्टी हमारे क्षेत्र में सड़ जाएगी। पांच कान्सटुयेन्सी में हमारे लोग किसी को हराने या कुछ करने की क्षमता रखते हैं। खुदा न खास्ता दिल्ली में विपक्ष की सरकार आ गई तो आप सब लोग जेल में चक्की पिसोगे। घोटाले-पर-घोटाले आपकी पार्टी का हर कुर्ता काला।' भैय्याजी बोले, 'रही बात हमारी तो बाहर खड़ी मीडिया को मैं बता दूंगा। आप लोग क्या डील करने वाले थे। भैंसापुर इलाके में सेकंडों में मैसेज पहुंच जाएगा कि भैय्याजी को आलाकमान स्लो प्वाइजन देकर मारना चाहता है। और जानते हैं.. राइट.. फैल जाएगा राइट....। इसी साल चुनाव है न, हमारे इलाके में आपकी पार्टी भी राइट हो जाएगी।' घुघ्घूराजा को पहली बार खुद के घाघ होने पर संदेह हुआ। सोचने लगे.. इलाके का अदना सा नेता.. देखो कितनी हाईपिच पर बात करता है। घुघ्घूराजा बोले, 'नेताजी हमारी पार्टी का क्या सपोर्ट करेंगे?' भैय्याजी बोले, 'हम इलाके में थर्डफोर्स हूं, सेकन्ड फोर्स को डैमेज करने का काम करूंगा।' वहां सेकन्ड फोर्स कौन है घुघ्घूराजा ने जानना चाहा। भैय्याजी ने जवाब जड़ा- 'ये आप लोग जानिए वहां सेकन्ड फोर्स कौन है?' घुघ्घूराजा पहली बार असमंजस में फंसे.. सचमुच भैय्याजी विकट हरामी नेता हंै। इनका तो कोई ओर-छोर ही नहीं। घुघ्घूराजा बोले- 'नेताजी हम लोग फिलहाल कॉमन राष्ट्रीय इन्ट्रेस्ट के लिए एक हो जाते हैं। अभी कुछ सोचने विचारने का वक्त है। हां.. अब चुनाव तक आपको कोई 'पकड़उआ एजेंसी' तंग नहीं करेगी..।' भैय्याजी के दिमाग का कुत्ता सक्रिय हो गया। वे बाहर मुस्कराते हुए निकले। टीवी वालों को बाइट दे रहे थे.. 'हमारे बीच में कितने भी मतभेद हो पर राष्ट्रहित में एक होना वक्त की मांग है हम आलाकमान को फुलसपोर्ट करने आया हूं..। लेकिन यह इश्यूबेस सपोर्ट है- जैसे आरटीआई को फारटीआई करने के लिए। चुनाव लड़ने का कानून बदलने के लिए...। ये मत समझिएगा कि... हम सरेंडर   कर रहे हैं इनके आगे..।' इस बीच समर्थकों ने नारेबाजी शुरू कर दी.. पार करेंगे देश की नैय्या.. भैंसापुर के भैरो भइया।
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